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स्ट्रोक

स्ट्रोक – कारण 

स्ट्रोक के 2 मुख्य प्रकार हैं: इस्केमिक स्ट्रोक और रक्तस्रावी (हेमोरहेजिक) स्ट्रोक। वे मस्तिष्क को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करते हैं और उनके अलग-अलग कारण हो सकते हैं।

इस्केमिक स्ट्रोक

इस्केमिक स्ट्रोक सबसे आम प्रकार का स्ट्रोक है। ये तब होते हैं जब एक रक्त का थक्का (क्लॉटिंग) मस्तिष्क में रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह में बाधा बन जाता है।

ये रक्त के थक्के (क्लॉटिंग) आमतौर पर उन क्षेत्रों में बनते हैं जहां धमनियों (आर्टरीज़) को फ़ैंटी एकत्रण – प्लाक – द्वारा समय के साथ संकुचित या रुकावट बन जाता है। इस प्रक्रिया को एथेरोस्क्लेरोसिस के रूप में जाना जाता है।

उम्र बढ़ने के साथ आपकी धमनियाँ (आर्टरीज़) स्वाभाविक रूप से संकीर्ण हो सकती हैं, लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो ख़तरनाक रूप से इस प्रक्रिया को तेज़ कर देती हैं।

इसमें शामिल है:

  • धूम्रपान
  • उच्च रक्तचाप (ब्लड प्रेशर)
  • मोटापा
  • कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर
  • मधुमेह (डायबिटीज़)
  • अत्यधिक शराब का सेवन

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इस्केमिक स्ट्रोक का एक अन्य संभावित कारण एक प्रकार का अनियमित दिल की धड़कन है जिसे एट्रिअल फ़िब्रिलेशन कहा जाता है।

इससे हृदय में रक्त के थक्के (क्लॉट) बन सकते हैं, जो अलग होकर मस्तिष्क को आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं।

रक्तस्रावी (हेमोरहेजिक) स्ट्रोक

रक्तस्रावी (हेमोरहेजिक) स्ट्रोक (जिसे सेरिब्रल हैमरेज या इंट्रा-क्रेनियल हैमरेज के नाम से भी जाना जाता है) इस्केमिक स्ट्रोक से दुर्लभ है।

वे तब होते हैं जब सिर के अंदर एक रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क के अंदर और आसपास खून बहने लगता है।

रक्तस्रावी स्ट्रोक का मुख्य कारण उच्च रक्तचाप है, जो मस्तिष्क में धमनियों (आर्टरीज़) को कमज़ोर कर सकता है और उनके विभाजित या टूटने की अधिक संभावना हो जाती है।

उच्च रक्तचाप के ख़तरों को बढ़ाने वाली चीजों में शामिल हैं:

  • वज़न ज़्यादा होना
  • अत्याधिक मात्रा में शराब पीना
  • धूम्रपान करना 
  • व्यायाम की कमी
  • तनाव का होना 

रक्त वाहिका के गुब्बारे के समान फूल कर फटने (ब्रेन ऐन्यूरिज़्म ) या मस्तिष्क में असामान्य रूप से निर्मित रक्त वाहिकाओं के कारण रक्तस्रावी (हेमोरहेजिक) स्ट्रोक भी हो सकता है।

स्ट्रोक के ख़तरे को कम करना

स्ट्रोक को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, क्योंकि कुछ चीज़ें जो आपके ख़तरों को बढ़ाती हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।

इसमें शामिल है:

  • उम्र – यदि आप 55 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, तो आपको स्ट्रोक होने की अधिक संभावना है, हालांकि 4 में से 1 स्ट्रोक युवाओं में होता है
  • पारिवारिक इतिहास – यदि किसी करीबी रिश्तेदार (माता-पिता, दादा-दादी, भाई या बहन) को कभी स्ट्रोक हुआ हो, तो आपको स्ट्रोक होने की संभावना अधिक है
  • जातीयता – यदि आप दक्षिण एशियाई, अफ़्रीकी या कैरिबियन हैं, तो आपके स्ट्रोक का ख़तरा अधिक है, आंशिक रूप से क्योंकि मधुमेह (डायबिटीज़) और उच्च रक्तचाप की दर इन समूहों में अधिक होता है 
  • आपका मेडिकल इतिहास – यदि आपको पहले कभी  स्ट्रोक, ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टी.आई.ए.) या दिल का दौरा पड़ चुका है, तो स्ट्रोक का ख़तरा अधिक है

लेकिन एथेरोस्क्लेरोसिस और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से बचने के लिए जीवन शैली में बदलाव करके स्ट्रोक होने के अपने ख़तरों को काफ़ी हद तक कम करना संभव है।

यदि आपको लगता है कि आपके पास अनियमित दिल की धड़कन हो सकती है, तो आपको चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।

यह एट्रिअल फ़िब्रिलेशन का संकेत हो सकता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

स्ट्रोक – निवारण

स्ट्रोक को रोकने का सबसे अच्छे तरीके हैं – स्वस्थ आहार खाना, नियमित व्यायाम करना और धूम्रपान और शराब का ग्रहण न करना।

ऐसे परिवर्तन जीवनशैली में आपकी समस्याओं के ख़तरों को कम कर सकते हैं, जैसे:

  • वसायुक्त पदार्थ (एथेरोस्क्लेरोसिस) से भरी हुई धमनियां (आर्टरीज़)
  • उच्च रक्त चाप (ब्लड प्रेशर)
  • कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर

यदि आपको पहले भी स्ट्रोक हो चूका है, तो इन परिवर्तनों से भविष्य में एक और स्ट्रोक होने का ख़तरा कम हो सकता है।

आहार

अस्वस्थ आहार से आपके स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ सकती है क्योंकि इससे आपके रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि हो सकती है।

कम वसा (फ़ैट) वाले, उच्च फ़ाईबर वाले भोजन की सलाह दी जाती है, जिसमें ताज़े फल और सब्जियां (5 प्रतिदिन) और साबुत अनाज शामिल हों।

अपने आहार में एक संतुलन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। किसी भी एकल अन्न का अधिक सेवन न करें, विशेष रूप से उच्च नमक और संसाधित खाद्य पदार्थ।

आपको एक दिन में नमक को 6 ग्राम तक सीमित रखना चाहिए क्योंकि बहुत अधिक नमक आपके रक्तचाप को बढ़ा देगा: 6 ग्राम नमक लगभग 1 चम्मच होता है।

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व्यायाम

स्वस्थ वज़न बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका नियमित व्यायाम के साथ स्वस्थ आहार का सम्मिश्रण है।

नियमित व्यायाम आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करने और आपके रक्तचाप को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।

अधिकांश लोगों के लिए हर हफ़्ते, कम से कम 150 मिनट (2 घंटे और 30 मिनट) मध्यम-तीव्रता वाले एरोबिक कसरतें, जैसे कि साइकिल चलाने या तेज़ चलने, की सलाह दी जाती है।

यदि आप एक स्ट्रोक से उबर रहे हैं, तो आपको अपने पुनर्वास टीम के सदस्यों के साथ संभावित व्यायाम योजनाओं पर विचार करना चाहिए।

स्ट्रोक के बाद प्रारम्भिक हफ़्तों या महीनों में नियमित व्यायाम संभव नहीं हो सकता है, लेकिन आपके पुनर्वास में प्रगति होने के बाद आप व्यायाम शुरू करने में सक्षम हो जाएंगे।

धूम्रपान बंद करें 

धूम्रपान करने से आपके स्ट्रोक होने का ख़तरा काफ़ी बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह आपकी धमनियों (आर्टरीज़) को संकीर्ण करता है और आपके रक्त का थक्का (क्लॉटिंग) जमने की संभावना को बढ़ाता है।

आप धूम्रपान को त्याग करके स्ट्रोक होने के ख़तरे को कम कर सकते हैं।

धूम्रपान न करने से आपके सामान्य स्वास्थ्य में भी सुधार होगा और अन्य गंभीर स्थितियों, जैसे फेफड़ों के कैंसर और हृदय रोग के विकास, के ख़तरों को कम करेगा।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय हेल्पलाइन (011-22901701) आपको धूम्रपान छोड़ने में मदद करने के लिए सलाह और प्रोत्साहन दे सकती है। 

शराब पर कटौती

अत्यधिक शराब के सेवन से उच्च रक्तचाप हो सकता है और अनियमित धड़कन (एट्रिअल फ़िब्रिलेशन) का कारण हो सकता है, ये दोनों आपके स्ट्रोक होने के ख़तरे को बढ़ा सकते हैं।

क्योंकि शराब में अधिक कैलोरी होते हैं, वे भी वज़न बढ़ने का कारण बनते हैं। ज़्यादा शराब पीने से स्ट्रोक का ख़तरा 3 गुना से भी अधिक बढ़ जाता है।

यदि आप शराब पीना चुनते हैं और स्ट्रोक से पूरी तरह से ठीक हो गए हैं, तो आपको सुझाए गए लक्ष्यों की सीमा से अधिक नहीं पीना चाहिए:

  • पुरुषों और महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से एक सप्ताह में 14 से अधिक मात्रक (यूनिट) न पिएं
  • यदि आप सप्ताह में 14 यूनिट से अधिक पीते हैं, तो 3 दिन या उससे अधिक की अवधि में पिएं 

यदि आप अपने स्ट्रोक से पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं, तो हो सकता है कि आप शराब के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हो गए हैं, और अनुशंसित सुरक्षित सीमाएं भी आपके लिए बहुत अधिक हो सकती हैं।

 

अंतर्निहित स्थितियों का प्रबंधन

यदि आपको पता है कि आपको स्ट्रोक होने का ख़तरा हो सकता है, तो ऐसी स्थिति को अपने नियंत्रण में लाएं, ताकि स्ट्रोक को रोकने में यह भी महत्वपूर्ण हो।

ऊपर उल्लिखित जीवन शैली में परिवर्तन इन स्थितियों को काफ़ी हद तक नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन आपको नियमित रूप से दवा लेने की भी आवश्यकता हो सकती है।

स्ट्रोक – इलाज

स्ट्रोक का सफल इलाज दीर्घकालिक विकलांगता को रोक सकता है और कई ज़िंदगियों को बचा सकता है।

विशिष्ट अनुशंसित इलाज स्ट्रोक के कारणों पर निर्भर करते हैं:

  • रक्त का थक्का (क्लॉट) मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को रोक रहा है (इस्केमिक स्ट्रोक)
  • मस्तिष्क में या उसके आसपास रक्तस्राव (रक्तस्रावी या हैमोरेजिक स्ट्रोक)

इलाज में आमतौर पर 1 या अधिक दवाएँ शामिल होती हैं, हालांकि कुछ लोगों को सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है।

इस्केमिक स्ट्रोक का इलाज

यदि आपको इस्केमिक स्ट्रोक हुआ है, तो ऐसी स्थिति का इलाज करने और इसे भविष्य में होने से रोकने के लिए दवाओं का मिश्रण आमतौर पर अनुशंसित किया जाता है।

इनमें से कुछ दवाओं को तुरंत और केवल थोड़े समय के लिए लेने की आवश्यकता होती है, जबकि अन्य दवायें केवल तब ही शुरू हो सकती हैं जब स्ट्रोक का इलाज शुरू हो चुका हो और इन्हें लंबे समय तक लेने की आवश्यकता हो सकती है।

थ्रोम्बोलिसिस – “क्लॉट बस्टर” दवा

इस्केमिक स्ट्रोक को अक्सर औल्टेप्लेज़ नामक दवा का इंजेक्शन द्वारा इलाज किया जा सकता है, जो रक्त के थक्कों (क्लॉट्स) को घुला देता है और मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को पुनर्स्थापित करता है। “क्लॉट-बस्टिंग” दवा के उपयोग को थ्रोम्बोलिसिस के रूप में जाना जाता है।

औल्टेप्लेज़ स्ट्रोक होने के तुरंत बाद – और निश्चित रूप से 4.5 घंटे के अंदर – ही सबसे प्रभावी है।

यदि 4.5 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, तो यह आम तौर पर अनुशंसित नहीं किया जाता है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि इस समय के बाद इसका उपयोग कितना लाभदायक होता है।

औल्टेप्लेज़ का उपयोग करने से पहले, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस्केमिक स्ट्रोक के रोग-निदान की पुष्टि करने के लिए एक ब्रेन स्कैन किया गया हो।

इसका कारण यह है कि यह दवा रक्तस्रावी (हैमोरेजिक) स्ट्रोक में हुए रक्तस्राव को बदतर कर सकता है।

थ्रौम्बेक्टमी 

गंभीर इस्केमिक स्ट्रोकों की श्रृंखला को एक थ्रौम्बेक्टमी नामक आपातकालीन प्रक्रिया द्वारा इलाज किया जा सकता है।

यह रक्त के थक्कों (क्लॉट्स) को हटाता है और मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को पुनः स्थापित करने में मदद करता है।

थ्रौम्बेक्टमी केवल इस्केमिक स्ट्रोक के कारण हुए मस्तिष्क के किसी एक बड़ी धमनी (आर्टरी) में रक्त के थक्के (क्लॉट) के इलाज में प्रभावी है।

थ्रौम्बेक्टमी किसी भी स्ट्रोक के बाद जल्द से जल्द हो जाना चाहिए।

इस प्रक्रिया में धमनी (आर्टरी) में एक कैथेटर सम्मिलित किया जाता है, जो कि अक्सर ऊसन्धि में किया जाता है। मस्तिष्क में धमनी (आर्टरी) में कैथेटर के माध्यम से एक छोटा उपकरण पारित किया जाता है।

फिर रक्त का थक्का (क्लॉट) डिकैथेटर का उपयोग करके, या खींच कर हटाया जा सकता है। प्रक्रिया स्थानीय या सामान्य एनेस्थीसिया के तहत की जा सकती है।

ऐस्पिरिन और अन्य ऐंटीप्लेटलेट्स

अधिकांश लोगों को ऐस्पिरिन की एक नियमित ख़ुराक अनुशंसित की जाएगी। दर्द निवारक होने के साथ-साथ ऐस्पिरिन एक ऐंटीप्लेटलेट है, जो एक और थक्का (क्लॉट) बनने की संभावना को कम करता है।

अन्य ऐंटीप्लेटलेट दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि क्लोपिडोग्रेल और डिपाइरिडमोल।

स्कन्दनरोधी (ऐंटीकोएगुलेन्ट्स)

कुछ लोगों को भविष्य में नए रक्त के थक्कों (क्लॉट्स) के विकास को रोकने के लिए स्कन्दनरोधी (ऐंटीकोएगुलेन्ट्स) अनुशंसित किया जा सकता है।

स्कन्दनरोधी (ऐंटीकोएगुलेन्ट्स) रक्त के रासायनिक संरचना को बदलकर रक्त के थक्कों (क्लॉट्स) को बनने से रोकते हैं।

वारफ़रिन, एपिक्सैबन, डाबीगाट्रन, एडोक्साबैन और रिवेरोक्सबैन दीर्घकालिक उपयोग के लिए स्कन्दनरोधी (ऐंटीकोएगुलेन्ट्स) के उदाहरण हैं।

हेपरिन्स नामक कई स्कन्दनरोधी (ऐंटीकोएगुलेन्ट) भी हैं, जो केवल इंजेक्शन द्वारा दिए जा सकते हैं और अल्पावधि में उपयोग किए जाते हैं।

स्कन्दनरोधी (ऐंटीकोएगुलेन्ट्स) अनुशंसित किया जा सकता है यदि आपके:

  • दिल की धड़कन अनियमित है जिसे एट्रियल फ़ाइब्रिलेशन कहा जाता है, जिससे रक्त के थक्के (क्लॉट्स) बन सकते हैं
  • रक्त के थक्कों (क्लॉट्स) का इतिहास है
  • अपने पैर की नसों में एक रक्त का थक्का (क्लॉट्) विकसित हो गया हो (डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डी.वी.टी.)) क्योंकि स्ट्रोक ने आपको अपना एक पैर हिलाने में असमर्थ कर दिया हो। 

रक्तचाप की दवाएं

यदि आपका रक्तचाप उच्च स्तर पर है, तो आपको इसे कम करने के लिए दवाएं अनुशंसित की जा सकती है।

आमतौर पर उपयोग की जाने वाली दवाओं में शामिल हैं:

  • थायाज़ाइड डाइयुरेटिक्स
  • एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंज़ाइम (एसीई) इन्हिबिटर्स 
  • कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्ज़  
  • बीटा-ब्लॉकर्ज़ 
  • ऐल्फ़ा-ब्लॉब्लॉकर्ज़

स्टैटिन

यदि आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल उच्च स्तर पर है, तो आपको स्टैटिन नामक दवा लेने की सलाह दी जाएगी।

स्टैटिन आपके जिगर (लिवर) में कोलेस्ट्रॉल बनाने वाले रसायन (एंज़ाइम) को रोक कर आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।

यद्यपि आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर विशेष रूप से उच्च स्तर पर न हो, फिर भी आपको स्टैटिन अनुशंसित किया जा सकता है, क्योंकि यह आपके स्ट्रोक के ख़तरे को कम करने में मदद कर सकता है, भले ही आपके कोलेस्ट्रॉल का स्तर को कुछ भी हो।

कैरोटिड एंडरटेरेक्टमी

कुछ इस्केमिक स्ट्रोक गर्दन में कैरोटिड धमनी (आर्टरी) – जो मस्तिष्क को रक्त पहुंचाता है – के संकीर्ण होने के कारण होते हैं। 

संकीर्णता, जिसे कैरोटिड स्टेनोसिस कहा जाता है, फ़ैटी प्लाक के एकत्रण के कारण होता है।

यदि कैरोटिड स्टेनोसिस बहुत गंभीर है, तो धमनी (आर्टरी) को खोलने के लिए सर्जरी किया जा सकता है। इसे कैरोटिड एंडरटेरेक्टमी कहा जाता है।

इसमें सर्जन आपकी गर्दन में छेदन करके, कैरोटिड धमनी (आर्टरी) को खोल कर फ़ैटी एकत्रण को हटाते है।

रक्तस्रावी (हैमोरेजिक) स्ट्रोक का इलाज

इस्केमिक स्ट्रोक के समान, जिन लोगों को रक्तस्रावी (हेमोरेजिक) स्ट्रोक हुआ हो, उनके रक्तचाप को कम करने और आगे के स्ट्रोक को रोकने के लिए दवा अनुशंसित की जाएगी।

यदि आप अपने स्ट्रोक होने से पहले स्कन्दनरोधी (ऐंटीकोएगुलेन्ट्स) ले रहे थे, तो आपको उस दवा के प्रभाव को उलटने के लिए इलाज की आवश्यकता हो सकती है और यह आगे रक्तस्राव के जोखिम को कम कर सकती है।

सर्जरी

कभी-कभी, मस्तिष्क से कुछ रक्त को हटाने और किसी भी फटे हुए रक्त वाहिकाओं की मरम्मत के लिए आपातकालीन सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। यह आमतौर पर एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसे क्रैनियोटमी कहा जाता है।

क्रैनियोटमी के दौरान, खोपड़ी के एक हिस्से को हटा दिया जाता है, जिससे सर्जन रक्तस्राव के स्रोत तक पहुंच सके।

सर्जन सारे क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं की मरम्मत करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि कोई रक्त के थक्के (क्लॉट्स) मौजूद न हों जो मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को रोक दें।

रक्तस्राव को रोकने के बाद, खोपड़ी से हटाए गए हड्डी के टुकड़े को अक्सर एक कृत्रिम धातु की प्लेट द्वारा बदल दिया जाता है।

हाइड्रोसेफ़लस के लिए सर्जरी

रक्तस्रावी *हैमोरेजिक) स्ट्रोक से उत्पन्न होने वाली हाइड्रोसेफ़लस नामक जटिलता का इलाज करने के लिए भी सर्जरी की जा सकती है।

स्ट्रोक के परिणामस्वरूप होने वाली क्षति, मस्तिष्क के कैविटीज़ (वेंट्रिकल्ज़) में सेरेब्रोस्पाइनल द्रव का एकत्रण करती है, जिससे सिरदर्द, बीमारी, उनींदापन, उल्टी और संतुलन की हानि जैसे लक्षण पैदा होते हैं।

हाइड्रोसेफ़लस का इलाज मस्तिष्क में एक ट्यूब, जिसे शंट कहा जाता है, डालकर किया जा सकता है, जिससे तरल पदार्थ को  निकाला जा सके।

सहायक उपचार

आपको कुछ ऐसी अल्पकालिक इलाज की आवश्यकता हो सकती है जो स्ट्रोक से हुए समस्याओं के प्रबंधन में मदद कर सकती हैं।

उदाहरण के लिए, आपको आवश्यकता हो सकती है:

  • यदि आपको निगलने में कठिनाई (डिसफ़ेजिया) है, तो आपको पोषण प्रदान करने के लिए एक फ़ीडिंग ट्यूब आपकी नाक (नेज़ोगैसट्रिक ट्यूब) के माध्यम से आपके पेट में डाली जा सकती है 
  • यदि आप कुपोषित हैं, तो पोषक तत्वों की ख़ुराक दी जा सकती है
  • यदि आपको निर्जलीकरण (पानी की कमी) का ख़तरा है, तो तरल पदार्थ सीधे शिराओं (अंतःशिरा) में दिए जा सकते हैं
  • यदि आपके रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम है, तो नाक की नली या फ़ेस मास्क के माध्यम से ऑक्सीजन दिया जा सकता है 
  • पैरों में रक्त के थक्के (क्लॉट्स) को रोकने के लिए कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स (डीवीटी) दिए जा सकते हैं।

स्ट्रोक – सुनहरा घंटा

संक्षिप्त विवरण – स्ट्रोक के मरीज़, जो लक्षणों के एक घंटे के भीतर अस्पताल पहुंच जाते हैं, वह बाद में पहुंचने वालों की तुलना में क्लॉट-बस्टिंग दवा को दुगने बार प्राप्त करते हैं। शोधकर्ताओं ने लक्षण के पहले घंटे को “सुनहरा घंटा (गोल्डन आवर)” कहा है। यह अध्ययन, स्ट्रोक के लक्षणों की शीघ्र प्रतिक्रिया करने के महत्व की, पुष्ट करता है, क्योंकि “समय खोया तो मस्तिष्क खोया।”

स्ट्रोक के लक्षणों का अनुभव होने के एक घंटे के भीतर विशिष्ट अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीज़ों को एक शक्तिशाली क्लॉट-बस्टिंग दवा दुगने बार प्राप्त होती है, जो कि इलाज के लिए अनुमोदित समय की खिड़की के बाद पहुंचते हैं, एक नए अध्ययन के अनुसार जो कि 18 फरवरी को अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के इंटरनेशनल स्ट्रोक सम्मेलन 2009 में प्रस्तुत किया गया था।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के गेट विद द गाइडलाइन्स-स्ट्रोक (जी.डबल्यू.डी.जी. – स्ट्रोक) गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत भाग लेने वाले अस्पतालों में 100,000 से अधिक रोगियों का इलाज किया गया, 27.1 प्रतिशत मरीज़ “सुनहरे घंटे (गोल्डन आवर)” के भीतर पहुंचे (लक्षण शुरू होने के एक घंटे में), उन्हें क्लॉट-बस्टिंग ड्रग टिशू प्लास्मिनोजेन एक्टिवेटर (टी.पी.ए.) द्वारा इलाज किया गया। लक्षणों में से एक और तीन घंटे के बीच आने वालों में से 12.9 प्रतिशत ने दवा प्राप्त की।

“एक घंटे के भीतर आने वाले मरीजों के बीच इलाज की दर, गेट विद द गाइडलाइंस अस्पतालों के लिए अच्छी खबर है,” जेफ़री एल. सेवर, एम.डी., अध्ययन के प्रमुख लेखक, न्यूरोलॉजी के प्रोफ़ेसर और कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजेलेस में स्ट्रोक सेंटर के निदेशक ने कहा। “पहले के अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत मरीज़, जो जल्दी पहुंच जाते हैं, पूरी तरह से क्लॉट-बस्टिंग ड्रग ट्रीटमेंट के पात्र होते हैं, और गेट विद द गाइडलाइन्स-स्ट्रोक अस्पतालों के साथ इन सभी मरीज़ों को चिकित्सा प्रदान कर रहे हैं।”

यह दवा क्लॉट-संबंधित (इस्केमिक) स्ट्रोक के लिए एकमात्र अनुमोदित उपचार है और स्ट्रोक से संबंधित विकलांगता को घटाने में कुछ हद तक सिद्ध है। हालाँकि, लक्षणों के प्रारम्भ होने के तीन घंटे के अंदर ही इसका उपभोग करना चाहिए।

हाल ही में, यूरोपियन कोओपरेटिव एक्यूट स्ट्रोक स्टडी (ई.सी.ए.एस.एस. 3) अध्ययन ने सुझाव दिया है कि टीपीए कुछ रोगियों के लक्षणों के शुरुआत से 4.5 घंटों तक सुरक्षित और प्रभावी था, लेकिन वर्तमान शोध रोगियों और चिकित्सकों के बीच तीव्र कार्रवाई के महत्व की पुष्ट करता है।

“ये निष्कर्ष स्ट्रोक की शुरुआत के बाद पहले 30 से 60 मिनट में आने वाले रोगियों के अनुपात को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक शिक्षा के प्रयासों का समर्थन करते हैं,” उन्होंने (जेफ़री एल. सेवर) कहा।

सेवर ने कहा कि – “गोल्डन आवर” के दौरान अस्पताल में मरीज़ कितनी बार आते हैं – इस बारे में काम जानकारी है, या कितनी बार अस्पताल में मरीज़ के आने के 60 मिनट में टीपीए इन्फ्यूज़न के लिए दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है।

शोधकर्ताओं ने 905 गेट विद द गाइडलाइंस-स्ट्रोक अस्पतालों में चार से अधिक वर्ष की अवधि में इलाज किए गए 106,924 इस्केमिक स्ट्रोक रोगियों के रिकॉर्ड की समीक्षा की है।

विश्लेषण में पाया गया कि:

  • 28.3 प्रतिशत मरीज़ 60 मिनट के अंदर पहुंच गए थे;
  • 31.7 प्रतिशत मरीज़ लक्षणों के शुरू होने के एक से तीन घंटे में पहुंचे थे; और 
  • 40.1 प्रतिशत मरीज़ लक्षण शुरू होने के तीन घंटे बाद पहुंचे थे।

सेवर ने कहा, ” यह बहुत ही उत्साहजनक खोज है कि इस्केमिक स्ट्रोक के एक चौथाई से अधिक मरीज़ – गेट विद द गाइडलाइंस-स्ट्रोक के आपातकालीन विभाग – “सुनहरे घंटे (गोल्डन आवर)” में पहुंचे हैं, क्योंकि स्ट्रोक में कहा जाता है – समय खोया तो मस्तिष्क खोया।” सेवर ने यह भी कहा, “हालांकि, 70 प्रतिशत से अधिक मरीज़ सुनहरे घंटे के बाद पहुँचते हैं, जब बड़ी मात्रा में मस्तिष्क को क्षति हो चुकी होती है और क्षति को ठीक करने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है।”

“हमारे पास जनता और स्ट्रोक केंद्र के कर्मचारियों को शिक्षित करने का अभी अतिरिक्त काम बचा है। प्रत्येक मिनट जिसमें रक्त प्रवाह को पुनर्स्थापित नहीं किया जाता है, लगभग बीस लाख अतिरिक्त तंत्रिका कोशिकाएं (नर्व सॅल्स)  नष्ट हो जाती हैं। “

शोधकर्ताओं का कहना है कि “सुनहरे घंटे (गोल्डन आवर)” के मरीज़ों ने – बाद में आने वाले मरीज़ों की तुलना में – स्ट्रोक होने की कमी दिखाई है, यह सुझाव देते हुए कि तीव्र लक्षणों ने उन्हें चिकित्सक परीक्षण जल्दी करवाने के लिए प्रेरित किया।

लेकिन शुरुआती और देर से आने वाले मरीज़ एक ही उम्र के थे और वे पुरुषों और महिलाओं की श्रेणियों में समान रूप से विभाजित थे। त्वचा से सांवले मरीज़ों का अस्पताल जल्दी पहुँचना कम देखा गया, जिनमें से केवल 11.8 प्रतिशत मरीज़ एक घंटे के अंदर और 11.9 प्रतिशत मरीज़ तीन घंटे के अंदर पहुंचे थे।

हालांकि, एक बार अस्पताल में पहुँचने के बाद, “सुनहरे घंटे (गोल्डन आवर)” में आने वाले मरीज़ो को समय-से-उपचार के लिए – एक से तीन घंटे बाद आने वाले मरीज़ो की तुलना में – लगभग 15 मिनट अधिक समय लगा था। अस्पताल के कामकाज में वृद्धि लाने वाली क्रियाकलापों की आवश्यकता है, जिससे “सुनहरे घंटे (गोल्डन आवर)” में आने वाले मरीज़ो के लिए आगमन-से-उपचार का समय कम हो सके,” शोधकर्ताओं ने कहा।

स्ट्रोक का इलाज शुरू होने से पहले, मरीज़ों को कई परीक्षणों से गुज़ारना होता है, जिसमें ब्रेन स्कैन शामिल है जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि स्ट्रोक का कारण एक अवरुद्ध धमनी (ब्लॉक्ड आर्टरी) है, न कि कोई रक्तस्रावी (हैमोरेजिक) रक्त वाहिका।

सेवर ने कहा,” प्रतीक्षा करने के लिए कई कारण हो सकते हैं, लेकिन वे सभी इस तथ्य से त्रस्त हैं कि आप जितनी देर प्रतीक्षा करेंगे, उतना अधिक मस्तिष्क मरता जाएगा।” “हमें जल्दी पहुंचने वाले मरीज़ के आने पर ढील देने की और कुछ अतिरिक्त समय के बारे में सोचने की प्राकृतिक प्रवृत्ति पर काबू पाने की आवश्यकता है।”

इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने महत्वपूर्ण स्ट्रोक अनुसंधान को सुविधाजनक बनाने में जी.डबल्यू.डी.जी. – स्ट्रोक के मूल्य को उद्धृत किया है।

“हम बेहद उत्साहित हैं कि गेट विद द गाइडलाइंस-स्ट्रोक अब इस प्रकार के स्ट्रोक अनुसंधानों को सुविधाजनक बनाने की स्थिति में है। 1,400 से अधिक अस्पतालों से 800,000 से अधिक रोगियों के प्रवेश के साथ, यह डेटा रजिस्ट्री तीव्र स्ट्रोक देखभाल और परिणामों की हमारी समझ में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है,”  सह-लेखक ली श्वाम, बॉस्टन में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के न्यूरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर, ने कहा।