न्यूरॉयस्टिकेरकोसिस एक ऐसी बीमारी है जो गंदे खाने, स्वच्छता का ध्यान न रखने और कीड़ों के अंडे अंदर खाने में जाने से होती है। यह कीड़ा कुछ लोगों के शरीर में पोर्क (सुअर का मांस) खाने से आता है और अंदर अंडे देता है। इन व्यक्तियों से ये अंडे मल के माध्यम से मिट्टी में चले जाते हैं। इस मिट्टी में जो चीजें उगती हैं वह भी संक्रमित हो जाती हैं। उस चीज़ को यदि कोई व्यक्ति या बच्चा खा ले तो उसके अंदर लार्वा बनता है और वह लार्वा रक्त के माध्यम से दिमाग में पहुँच कर मर जाता है। जब वह मरना शुरू करता है तो एक कैप्सूल बना लेता है जिसे सिस्ट बोलते हैं। जब यह असर करना शुरू करता है तो दिमाग में सूजन पैदा होती है जिससे बच्चे को दौरे पड़ते हैं।
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कई बार लोग सोचते हैं कि यह कीड़ा किसी बाबा से निकलवा लें और बाबा उन्हें शीशी में लेकर दिखा भी देते हैं कि उन्होंने कीड़ा निकाल दिया। जबकि वास्तव में यह कीड़ा कहीं से निकाला नहीं जा सकता क्योंकि यह सिस्ट है जो इधर उधर घूमता नहीं है बल्कि एक जगह पर स्थिर रहता है। इसलिए इन चीज़ों के चक्कर में न पड़ें और समुचित इलाज करवाएं। इलाज में निम्न बातें ध्यान दी जाती हैं –
1. बच्चे का दौरे बंद करना
2. दिमाग की सूजन को कम करना
3. कीड़े को मारने की दवा देना
इसमें सिर्फ बच्चे का ही इलाज नहीं होता बल्कि पूरे परिवार को अपनी खाने की और स्वास्थ्य संबंधी आदतें बदलने की आवश्यकता होती है। कुछ लोगों को मानना है कि यह बीमारी गोभी खाने से होती है क्योंकि उन्होंने यह कहीं पढ़ा या सुना होता है। वास्तविकता यह है कि यह बीमारी सिर्फ गोभी ही नहीं बल्कि किसी भी ऐसी चीज़ के खाने से हो सकती है, जिसमें स्वच्छता का ध्यान न रखा गया हो। यह बीमारी अमीर, गरीब, छोटे या बड़े किसी भी बच्चे को हो सकती है, इसलिए इसका इलाज समय से कराना चाहिए और घर में और आसपास स्वच्छता का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए।