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सिरदर्द को गंभीरता से कब लें

हम सभी ने कभी न कभी सिरदर्द का अनुभव अवश्य किया होगा। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे कभी सिरदर्द नहीं हुआ हो। अधिकतर सिरदर्द साधारण होते हैं जिनके बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन कभी कभी यह सिरदर्द किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है जैसे – ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हैमरेज (मस्तिष्क आघात) या गंभीर मस्तिष्क संक्रमण जिसे मेनिनजाइटिस कहते हैं।

सिरदर्द का सबसे सामान्य कारण चिंता और तनाव है। यदि ऑफिस में आपका दिन खराब रहा, बच्चे आपको परेशान कर रहे हों, किसी व्यक्ति के कारण गुस्से में हों या किसी भी बात को लेकर ज़्यादा तनाव में हों तो आपको सिरदर्द हो सकता है। ऐसे समय पर अपने दिमाग को शांत रखें, सामान्य रहें, थोड़ी देर सो जाएं या फिर पैरासिटामोल जैसी कोई ओवर द काउंटर दवा लेने से आपका सिरदर्द ठीक हो जाएगा।

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इससे अधिक गम्भीर सिरदर्द को माइग्रेन कहते हैं। यह भी एक सामान्य विकार है। इसमें सिरदर्द अधिक तेज़ होता है और अक्सर चुभता हुआ से प्रतीत होता है। यह दर्द सिर के एक हिस्से में अथवा दोनों हिस्सों में हो सकता है। इसमें अक्सर सिरदर्द के साथ-साथ जी मिचलाना और उल्टी जैसी समस्याएं भी होती हैं। रोगी एक अंधेरे कमरे में लेटना पसंद करता है। वह किसी को सोने नहीं देता और न ही किसी से बात करना चाहता है।

ब्रेन ट्यूमर के कारण होने वाला सिरदर्द धीरे-धीरे आरम्भ होता है और फिर बढ़ता जाता है। इसमें भी रोगी को जी मिचलाना, उल्टी होना और बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। साधारण सिरदर्द सोने के बाद ठीक हो जाते हैं और जब आप सुबह सो कर उठते हैं तो सिरदर्द ठीक हो चुका होता है, लेकिन ब्रेन ट्यूमर में इसका उल्टा होता है, जब आप सो कर उठते हैं तो सिरदर्द और बढ़ चुका होता है।

दिमाग मे रक्त रिसाव के कारण भी सिरदर्द हो सकता है। यह सिरदर्द अलग प्रकार का होता है और अचानक से उत्पन्न हो जाता है। एक क्षण रोगी को सब ठीक लगता है लेकिन अगले ही क्षण उसे बहुत तेज़ सिरदर्द होता है। यह दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी की जान भी जा सकती है।

सिरदर्द का तीसरा गंभीर कारण मस्तिष्क संक्रमण या मेनिनजाइटिस है। इसमें सिरदर्द बड़ी ही तेज़ी के साथ बढ़ता है। रोगी बहुत अधिक बीमार हो जाता है और उल्टी होने के साथ-साथ सुस्त पड़ जाता है। रोगी को एक हाथ में कमज़ोरी का आभास भी हो सकता है।

यदि आपका सिरदर्द कम नहीं हो रहा है, समय के साथ बढ़ता जा रहा है या फिर अचानक से उत्पन्न हो जाता है, तो समय-समय पर डॉक्टर की सलाह आवश्यक है ताकि वह बीमारी की गंभीरता का पता लगा सकें।